रिपोर्ट के अनुसार एक ओर राज्य में ऊर्जा मे कम निवेश, मांग-आपूर्ति में बढ़ती खाई, उच्च जनसंख्या घनत्व और अविकसित बुनियादी संरचनाएं चुनौतियो सरीखें हैं। वहीं ग्रामीण बिहार की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए संस्थागत और सरकारी स्तर पर नीतियां अपनाने की जरूरत है। इन इलाकों में सौर, पवन व पनबिजली ऊर्जा जैसे अक्षय ऊर्जा संसाधनों का अपार भंडार है, बस सस्ती, सुगम व सर्वसुलभ विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा के उचित इस्तेमाल की आवश्यकता है।
यही नहीं, कोयला व गैस आधारित विशाल परियोजनाओं से पैदा पर्यावरणीय संकटों तथा स्वच्छ ऊर्जा अपनाने के अंतरराष्ट्रीय दबावों के बीच अक्षय ऊर्जा पर बिहार की प्रगतिशील पहल इसे दुनिया में प्रशंसा का पात्र भी बना सकती है । गौरतलब है कि 89 फीसदी ग्रामीण आबादी वाले बिहार में हालिया विकास गति को देखते हुए आंकलन है कि घरेलू बिजली खपत 27 फीसदी चक्रवृद्धि की दर से सालाना विकास होगी. पहले 2006-07 में बिजली कमी का घाटा प्रतिशत महज 17 फीसदी था, जो 2010-11 में 45 फीसदी तक बढ़ जाने का अनुमान है।
उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी ने इस रिपोर्ट के लिए ग्रीनपीस की सराहना करते हुए इसका संज्ञान लेने और इस पर विमर्श करने की बात कही।
आइआइटी, खड़गपुर के प्रो डी लाहिड़ी के साथ यह रिपोर्ट संयुक्त रूप से लिखनेवाली इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस की डॉ अंजुला गुर्तू ने बताया कि बिहार में अल्पकालिक लक्ष्य के रूप में एक एकीकृत ऊर्जा योजना व संस्थागत बदलाव की जरूरत है। वहीं दीर्घकालिक योजना मे नीतिगत बदलाव के साथ पर्याप्त शासकीय ढांचे की जरूरत है। ऊर्जा निर्भरता हेतु पर्यावरणीय क्षति कम करने, विकास के फायदे बढ़ाने और ज्यादा निवेष करने के लिए ऐसा ढांचा आवश्यक है।
ग्रीनपीस इंडिया के कैम्पेन मैनेजर रामापति ने कहा कि ‘ग्रीनपीस बिहार में ऊर्जा आधारित सामाजिक विकास के लिए राज्यव्यापी छोटे व नये तरह के विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणाली नेटवर्क पर अमल करने की वकालत कर रहा है, जिसके तहत सरकारी एजेंसियों की मदद से लेकर निजी उद्यमियों के द्वारा प्रवर्तित परियोजनाओं के साझा प्रयास के जरिये राज्य का विकास तेज व प्रभावी किया जा सके।
बिहार में ग्रीनपीस की अक्षय ऊर्जा कैंपेनर अर्पणा उडुपा ने जोर दिया कि ‘ग्रीनपीस का सपना है कि बिहार ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बने। इसके लिए देश के नामी ऊर्जा व नीतिगत विशेषज्ञों की एक कार्य समिति बनायी गयी है, ताकि सरकार की मदद कर एक व्यापक नीति बनायी जाये और पूरे राज्य में इसकी प्रक्रिया चले।
इस मौके पर आद्री पटना के डायरेक्टर शैबाल गुप्ता समेत देश के जाने माने उर्जा विशेषज्ञ, नीति विश्लेषक, अक्षय ऊर्जा से जुड़े उद्यमी और गणमान्य लोग मौजूद थे।
संपादकों के लिए नोट
रिपोर्ट को इस लिंक पर देख सकते हैं-http://www.greenpeace.org/india/Global/india/report/Empowering-Bihar-Policy-pathway-for-energy-access.pdf
रिपोर्ट का सारांश इस लिंक पर देख सकते हैं- http://www.greenpeace.org/india/Global/india/docs/Empowering-Bihar-Executive-Summary-Hindi.pdf
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