ग्रीनपीस द्वारा किये गये ताजा आंकलन के हिसाब से 17 विश्वस्तरीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी (आईटी) कंपनियों के जलवायु नेतृत्व में अगुवाई करने के स्पष्ट संकेत हैं। साथ ही इस अगुवाई में निष्क्रिय रहने वाली आईटी कंपनियों को नकारात्मक प्वाइंट भी दिये गये हैं। आईटी एक ऐसा क्षेत्र है जो अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में कायाकल्प करने की क्षमता रखता है। आईटी उद्योग अपनी विशिष्ठ स्थान के जरिये ऊर्जा और परिवहन समाधानों द्वारा इनकी कार्बन पदचिन्हों में कटौती का रास्ता दिखाते हुए जलवायु परिवर्तन रोकने की मजबूत सरकारी नीतियों के लिए समर्थन जुटा सकता है।
ग्रीनपीस इंडिया के क्लाइमेट एंड इनर्जी कैम्पेनर अभिषेक प्रताप ने कहा, “चूंकि सन 2030 तक आवश्यक आधारभूत संरचना का 80 फीसदी हिस्सा अभी विकसित होना बाकी है, इसलिए यह देश को निम्न कार्बन उत्सर्जन के रास्ते पर ले जाने का सुनहरा मौका है । यह भारतीय आईटी कंपनियों के लिए निम्न कार्बन अर्थ व्यवस्था से सबसे ज्यादा लाभांवित होने का सुनहरा अवसर है।
“यह सेक्टर निम्न कार्बन व्यवस्था से मिलने वाले व्यापारिक अवसरों को बढावा दे सकता है (2) लेकिन अब तक आईटी कंपनियां इन परिवर्तनकारी व्यापारिक समाधान की दिशा में एक लंबी छलांग के जरिये व्यापक परिवर्तन, जिसके लिए वे जानी जाती हैं, लाने के बजाय वृद्धिशील दृष्टिकोण अपना रही हैं। आईटी सेक्टर को इससे पहले कि बहुत देर हो जाए, अपनी क्षमता का अहसास कराते हुए हस्तक्षेप कर हालात बदलने और राष्ट्रीय ऊर्जा नीति को नया स्वरूप प्रदान करना चाहिए।” (3)
हाल ही में संपन्न हुई अकार्बनिक अर्थव्यवस्था पर आयोजित सीईओ गोलमेज बैठक में भारतीय आईसीटी सेक्टर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस बात पर पूरी तरह सहमत थे कि आईटी कंपनियों को अगुआ की भूमिका निभाते हुए अकार्बनिक व्यापारिक कारोबार को सुदृढ करने के लिए समाधान और रास्ते दिखाने चाहिए। .
कूल आईटी लीडरबोर्ड के इस संस्करण में सिस्को, एरिक्सन और फ्युजित्सु जैसी सभी अगुआ कंपनियों को घटते क्रम में दर्शाया गया है। सिस्को इनमें सबसे आगे की ओर बढती नजर आयी। उसने अपनी व्यापारिक रणनीति में जलवायु समाधानों को सबसे अधिक प्राथमिकता दी है। यह कार्बन प्रदूषण को कम करने वाली नीतियों को बढावा देने वालों को आर्थिक प्रोत्साहन देता है।
इसी तरह से जलवायु के मददगारों और विरोधी आईटी कंपनियों के बीच लीडरबोर्ड ने अंक देकर स्पष्ट लाइन खींची है। नीचे कुछ उदाहरण दिये गये हैः
• सोनी यूरोप ने यूरोपीय समुदाय के सन 2020 तक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को 30 फीसदी कम करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने के लिए गूगल से हाथ मिलाया है, वहीं माइक्रोसोफ्ट, इन्टेल और आईबीएम को इसकी मुखाल्फत करने वाले यूरोपीय समूह का हिस्सा बने रहने के कारण नकारात्मक अंक मिले है। (4)
• सिस्को और एचपी के समर्थन से गूगल को कैलीफोर्निया के उस 23 बैलेट मीसर (उपाय) का मुकाबला करने में मदद मिली है जिसका असफल प्रयास राज्य के ऐतिहासिक ग्लोबल वार्मिंग कानून “कैलीफोर्निया ग्लोबल वार्मिंग सल्यूशन एक्ट” का विरोध करने के लिए तेल कंपनियों की तरफ से किया गया था।
• फ्युजित्सु को उस जापान सरकार को जलवायु के अनुकूल और साफ-सुथरी ऊर्जा नीति बनाने के लिए 12 खास सुझाव देने के लिए अच्छे अंक हासिल हुए जो सन 2020 तक 1990 के स्तर से 25 फीसदी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन कम करने के लिए कानून बनाने पर विचार कर रही है। जबकि अन्य बाकी जापानी आईटी कंपनियां इस संबंध में चुप्पी साधे रहीं। इसीलिए उनको नकारात्मक पक्ष-समर्थन पैनाल्टी (निगेटिव एडवोकेसी पैनाल्टी) मिली। आईटी ट्रेड लाबी जेइआईटीए ने इस ड्राफ्ट कानून का विरोध किया। (5)
ग्रीनपीस अंतरराष्ट्रीय के कैम्पेनर गैरी कुक ने कहा, “प्रदूषण फैलाने वाली कंपनियां नीति निर्धारण में अभी भी हावी हैं और अपने हितों को बरकरार रखने के लिए यथास्थिति कायम रखने में सफल हैं। “जलवायु परिवर्तन को रोकने और भविष्य के लिए साफ-सुथरी ऊर्जा सुनिश्चित करने के लिए हमें हर तरफ से समुचित कदम उठाने की जरूरत है। कानकुन में आये विभिन्न देशों के सरकारी प्रतिनिधियों के बीच होने वाले विश्वव्यापी जलवायु करार से लेकर व्यापारिक क्षेत्र तक में जलवायु संबंधी मसलों पर असली तरफदारी की जरूरत है। हर व्यक्ति को भविष्य बचाने के लिए इस दौड में हिस्सा लेना चाहिए।”
संपर्क:
कानकून में,
डेनियल केसलर, ग्रीनपीस इंटरनेशनल कम्यूनिकेशन्स मैनेजर, +1 510 501 1779;
सिद्धार्थ पाठक, ग्रीनपीस इंडिया पालिसी कैम्पेनर, + 52 199820 14034,
भारत में,
अभिषेक प्रताप, जलवायु एवं ऊर्जा कैम्पेनर ग्रीनपीस भारत, +91 98456 10749,
डा. सीमा जावेद वरिष्ठ मीडिया आफीसर ग्रीनपीस भारत,+919910059765,seema.javed @greenpeace.org
संपादक के ध्यानार्थः
1. चौथा कूल आईटी लीडरबोर्ड www.greenpeace.org/coolit पर उपलब्ध है। हर रपट बदलती राजनैतिक और व्यापारिक हकीकत को उजागर करती है और इसका उद्देश्य समूचे आईटी सेक्टर में चल रही जलवायु संरक्षण से संबंधित ज्यादा से ज्यादा क्रिया-कलापों को विस्तारपूर्वक उठाना है। इसका लक्ष्य आईटी सेक्टर में जलवायु संरक्षण के पक्ष में काम-काज और उसे प्रभावित करने वाले काम-काज के बीच के अंतर को उजागर करना भी है।
दी गई पूरी रैंकिंग इस प्रकार है:
1. किस्को 70/100 2. एरिक्सन 57/100 3. फ्युजित्सु 52/100 4. गूगल 47/100
5. आईबीएम 46/100 6. एचपी 45/100 7. डेल 39/100 8. विप्रो (रैंकिंग में नया) 38/100
9. नोकिया 37/100 10. सोनी 34/100 11. इन्टेल 31/100 12. माइक्रोसोफ्ट 29/100
13. शार्प 27/100 14. तोशीवा 25/100 15. साप 21/100 16. पैनासोनिक 21/100
17.ओरेकिल (रैंकिंग में नया) 12/100
2. दो साल पहले आयी रिपोर्ट “स्मार्ट 2020”: “सूचना युग में निम्न कार्बन अर्थ व्यवस्था का अवतरण,” ने कहा था कि आईटी समाधानों में इतनी क्षमता है कि सन 2020 तक वे ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कम से कम 15 फीसदी कटौती कर सकते हैं। लेकिन आईटी सेक्टर के कार्बन पदचिन्ह यानी उसकी कार्यशैली खुद इस प्रगति में बाधक है। पिछले कुछ महीनों में, फेसबुक पर भी कोल ऊर्जा पर आधारित ग्रिड ढांचे को विस्तार संबंधी निर्णयों की तीखी आलोचना से जुडे संदेशों की भरमार दिखी।
ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट “मेक आईटी ग्रीन: क्लाउड कम्प्यूटिंग एंड इट्स कंट्रीब्यूशन टू क्लाइमेट चेंज” ने उजागर किया कि क्लाउड बेस्ड कम्प्यूटिंग के कार्बन पदचिन्ह को जितना बडा पहले आंका गया था, वह उससे कहीं ज्यादा क्षमता वाला है। रिपोर्ट ने पाया कि वर्तमान विकास दर, डाटा सेंटर और दूरसंचार नेटवर्क इस क्लाउड के दो मुख्य तत्व सन 2020 में करीब 1,963 अरब किलोवाट बिजली की खपत करेंगे जोकि वर्तमान खपत से तीन गुना होगी और अमेरिका की वर्तमान बिजली खपत की आधी होगी जबकि फ्रांस, जर्मनी, कनाडा और ब्राजील की कुल बिजली खपत से ज्यादा होगी।
3. जलवायु परिवर्तन के संभावित गंभीर खतरों के बचने के लिए सरकारों को ऐसे बाध्यकारी कानूनी करार करने होंगे जो विकसित देशों के भारी उत्सर्जन में कटौती कर सकें और साथ ही विकासशील देशों में उत्सर्जन को सीमित करने के लिए प्रभावकारी कदम उठा सकें। गरीब देशों में जलवायु संबंधी कदम उठाने के लिए आवश्यक भारी धन भी मुहैया कराना होगा। इन चीजों को अंजाम देने के लिए सरकारों को बीच में आ रहे अवरोधों के हटाने के लिए कानकून में आपसी सहमति बनानी चाहिए और इन बिन्दुओं पर कार्य करना चाहिए।
- धरती के बढते तापमान को दो डिग्री सेल्सियस के नीचे लाने के अपने लक्ष्य को दोहराना चाहिए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए समीक्षा करना चाहिए कि पृथ्वी का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढने से भी बेहद खतरनाक प्रभाव झेलने पड सकते हैं।
-यह स्वीकार करना चाहिए कि वर्तमान उत्सर्जन कटौती का संकल्प भी हमें खतरनाक जलवायु परिवर्तन से आंखें मूंदने की इजाजत नहीं देता बल्कि इस संकल्प को और गति देने के लिए बाध्य करता है।
- क्लाइमेट फंड यानि जलवायु कोष स्थापित किया जाना चाहिए
- ऐसी कार्य योजना पर सहमति जो दीर्घकालीन जलवायु वित्त व्यवस्था के लिए नये स्त्रोतों को सृजित करने पर निर्णय ले सके
- जंगलों की कटाई से होने वाले उत्सर्जन से निपटने के लिए एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करना जो जैव विविधता और स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा भी कर सके।
4. माइक्रोसोफ्ट, इन्टेल और आईबीएम बिजनेस यूरोप के कारपोरेट एडवाइजरी और सपोर्ट ग्रुप के सदस्य हैः ttp://www.businesseurope.eu /Content/ Default.asp? PageID=604,
बिजनेस यूरोप यूरोपीय समुदाय के सन 2020 तक 30 फीसदी उत्सर्जन कम करने के प्रस्तावित लक्ष्य का लगातार विरोध करता रहा हैः http://www.businesseurope.be/content/default.asp?PageID=568&DocID=27309
5. Legislation http://www.env.go.jp/en/earth/cc/bagwc/overview_bill.pdf
JEITA विरोध (जापानीज में) at http://www.asyura2.com/ 10/senkyo 81/ msg /368.html