ग्रीनपीस का बिहार सरकार से आग्रह: एनडीसी की आगामी बैठक में आरजीजीवीवाई को पुनर्संरचित करने की मांग करे

डीआरई की बड़ी हिस्सेसदारी से बिहार विद्युतीकृत और समर्थ हो सकता है

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Press release - October 18, 2011
पटना, 18 अक्टू बर 2011: मुख्यनमंत्री नीतीश कुमार की राष्ट्री य विकास परिषद (एनडीसी) की आगामी बैठक की तैयारी के बीच ग्रीनपीस ने आज पटना में ग्रामीण विद्युतीकरण पर ध्वीजवाही योजना राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) पर अपनी राष्ट्री य रिपोर्ट जारी की।

यह रिपोर्ट आंध्र प्रदेश, बिहार तथा उत्तसर प्रदेश में आरजीजीवीवाई के सोशल ऑडिट, क्षेत्रीय विचार विमर्श और जनस���नवाई से उभरे तथ्योंह का संकलन है। उक्तर गतिविधियां इस योजना के ग्रामीण आबादी पर पड़ने वाले सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का पता लगाने के साथ-साथ यह जानने के लिये की गई थीं कि यह योजना अपने उद्देश्योंक पर खरी उतर पा रही है या नहीं।

ग्रीनपीस इंडिया की अभियानकर्ता अर्पणा उडुपा ने कहा “बिहार में ऊर्जा की किल्लयत तथा आरजीजीवीवाई से जुड़ी समस्या्ओं को देखते हुए राज्यख सरकार को इस योजना को मजबूत करने के लिये अतिरिक्ते तत्पारतापूर्ण कदम उठाना चाहिये। एनडीसी की बैठक बिहार सरकार के लिये इस योजना के तहत वि‍केन्द्रित अक्षय ऊर्जा उत्पा दन (डीआरई) के लिये बड़ी हिस्से दारी मांगने के लिहाज से अच्छा अवसर होगी। डीआरई बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में गुणवत्ता पूर्ण तथा भरोसेमंद बिजली उपलब्धछ कराने तथा ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित कराने में महत्व पूर्ण भूमिका निभा सकता है।”

बिहार बिजली की गम्भीतर किल्ल त से जूझ रहा है। बिहार जहां तापीय विद्युत संयंत्रों के जरिये अपनी बिजली उत्पा दन क्षमता में वृद्धि करने की योजना बना रहा है, वहीं अनिश्चित कोयला आपूर्ति तथा आबंटन सम्बान्धीक मुद्दे इन आकांक्षाओं को पूरा करने के मार्ग में बड़ी बाधाएं हैं। ग्रीनपीस की रिपोर्ट इस बात को रेखांकित करती है कि ऐसे हालात में बिहार में बिजली की उपलब्ध ता सु‍निश्चित करने के लिहाज से अक्षय ऊर्जा के जरिये स्थाानीयकृत ऊर्जा उत्पापदन तथा आपूर्ति निर्णायक है।

हालांकि आरजीजीवीवाई के जरिये ग्रामीण भारत के 90 प्रतिशत हिस्सोंन तक ग्रिड तंत्र पहुँच चुका है, लेकिन देश में 25 प्रतिशत परिवारों समेत 30 करोड़ की आबादी अब भी बिजली से वंचित है, जैसा कि 64वें राष्ट्री य सैम्पंल सर्वे में निकल के आया । अंतर्राष्ट्रींय ऊर्जा एजेंसी (आईईए) के अनुमान के अनुसार वर्ष 2030 में यह आंकड़ा 29 करोड़ 30 लाख होगा।

ग्रीनपीस इंडिया के अभियान प्रबंधक रमापति कुमार ने कहा “देश में 11वीं तथा 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत ऊर्जा उत्पानदन क्षमता में क्रमश: 50,000 एवं 100,000 मेगावॉट से ज्याोदा की वृद्धि होने की अपेक्षा है। जहाँ देश के शहरी क्षेत्रों में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है, आजादी के 64 साल बाद भी 40 प्रतिशत ग्रामीण लोग बिजली की सुविधा से वंचित हैं। ऐसे में जब देश के ज्याबदातर राज्योंर में बिजली की स्थिति शोचनीय है, डीआरई या अक्षय ऊर्जा पर ध्याान दिये बगैर ऐसी क्षमता वृद्धि से ग्रामीण जनता को बिजली मिल सकेगी, यह बहस का विषय है। ग्रामीण क्षेत्रों के लिये अक्षय स्रोतों से विकेन्द्रित ऊर्जा उत्पालदन खुद को ऊर्जीकृत और आत्मैनिर्भर बनाने का मौका प्रदान करता है, ताकि लोगों को विशाल ग्रिड तंत्र की बिजली पहुंचने का इंतजार न करना पड़े।”

 

अधिक जानकारी के लिये कृपया सम्पिर्क करें :

• अर्पणा उडुपा, अभियानकर्ता, ग्रीनपीस इंडिया, 0953515200,

• मुन्नाप झा, मीडिया सलाहकार, ग्रीनपीस इंडिया, +91 9570099300,

सम्पारदक के लिये नोट:

एनडीसी भारत में विकास सम्बोन्धीी मुद्दों पर निर्णय लेने वाली शीर्ष इकाई है। इसकी अध्य0क्षता प्रधानमंत्री करते हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना को सभी राज्योंष के मुख्यधमंत्रियों के सामने पेश करने तथा उस पर उनकी प्रतिक्रिया लेने के लिये एनडीसी की बैठक निकट भविष्यण में होगी।