ग्रीनपीस ने जारी की अक्षय ऊर्जा की सफल गाथाओं की रिपोर्ट

देश को ऊर्जा सशक्तिकरण व विकास की ओर ले जा रही है अक्षय ऊर्जा : ग्रीनपीस

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Press release - November 24, 2011
नई दिल्लीू, 24 नवंबर 2011: भारत के ऊर्जा भविष्य की कुंजी अक्षय ऊर्जा स्रोतों के विकास में निहित है। इस तथ्यी को ध्या न में रखते हुए ग्रीनपीस ने ने आज इंडिया इंटरनेशल सेंटर में अक्षय ऊर्जा परिदृश्यथ की रिपोर्ट ‘टेकिंग चार्ज, केस स्ट डीज़ आफ डिसेंट्रालाइज्ड् रिन्युोएबिल इनर्जी प्रेजेक्टeस इन इंडिया इन 2010’ जारी की। रिपोर्ट को ग्रामीण विकास मंत्री माननीय अगाथा संगमा और जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के सांसद प्रो. जब्बी्र हुसैन ने जारी किया।

रिपोर्ट जारी करते हुए सुश्री अगाथा संगमा ने कहा कि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे अक्षय ऊर्जा देश को ऊर्जा सशक्तिकरण की राह पर आगे बढ़ा रही है, खासतौर से गांवों में। लोगों को बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये भरोसेमंद ऊर्जा मिल रही है। अब जरूरत है कि एक टिकाऊ ऊर्जा समाधान की ओर देश तेजी से आगे बढ़े और इसकी राह यह रिपोर्ट दिखा रही है।  

यह रिपोर्ट देशव्‍यापी विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणाली से जुड़ी दस सफल गाथाओं की एक विहंगम दस्‍तावेज है। यह साबित करती है कि केन्‍द्रीयकृत विशाल विद्युत परियोजनाएं देश के गांवों को रौशन बनाने में निरुददेश्‍य और पर्यावरण व इंसान के लिए विनाशकारी साबित हो रहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ अक्षय ऊर्जा देश के विभिन्‍न समुदायों को ऊर्जावान बनाते हुए विकास की ओर ले जा रही है।  

दो भागों में बंटी इस रिपोर्ट की मूल कहानी में उन महत्‍वपूर्ण मानवीय व समाजिक बदलावों को दर्ज किया गया है जिन्‍होंने विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा की प्रवर्तनकारी परियोजनाओं को साकार किया है। वहीं दूसरा भाग इन परियोजनाओं के तकनीकी पक्षों को सुगम परिपेक्षय में पेश करता है।

इस रिपोर्ट को पेश करते हुए क्‍लाइमेट व  इनर्जी कैम्‍पेनर मनीष राम ने कहा कियह रिपोर्ट मात्र अक्षय ऊर्जा केसों का प्रालेख नहीं है बलिक यह प्रमाण है कि अक्षय ऊर्जा का विकेंद्रीकृत ढांचा ही भारत को ऊर्जा सशक्‍त बना सकता है। अक्षय ऊर्जा देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में परंपरागत ऊर्जा स्रोत की जगह ले चुकी है। जो नीति निर्माताओं को देश के ऊर्जा अभाव को दूर करने के लिए एक सशक्‍त एवं समृद्ध विकेंद्रीकृत ऊर्जा व्‍यावस्‍था से निर्माण की राह दिखा रहा है।विशेषकर दूर दराज के उन हिस्‍सों में जहां आज तक न तो केंद्रीयकृत ऊर्जा परियोनाओं के लाभ पहुंचे और न ही भविष्‍य में ऐसा होने की उम्‍मीद है।

अक्षय ऊर्जा के आयाम की नयी इबारतें की चंद बानगियां कुछ यूं हैं जैसे बिहार में हस्‍क पावर सिस्‍टम धान की भूसी का इस्‍तेमाल करके करीब एक लाख लोगों को बिजली उपलब्‍ध करा रही है। इसी तरह कर्नाटक के सुदूरवर्ती इलाकों में पहुचं कर बैंककर्मी किसानों को कर्ज उपलब्‍ध करा हैं ताकि वे अपने घरों में बिजली के लिए सूक्ष्‍म हाइड्रो प्रणाली का निर्माण कर सकें।

सदूर गांव ही नहीं दिल्‍ली जैसे महानगर में होली फैमली अस्‍पताल सोलर वाट हीटर लगाकर अपने बिजली के बिल का साठ फीसदी बचा रही है। सेल्‍को इंडिया कर्नाटक में सौर ऊर्जा सेवाएं मुहैया कराके मुनाफा कमा रही है। तामिलनाडू की ओदांथरी पंचायत ने पवन ऊर्जा में निवेश करके गांव में बिजली मुहैया करायी है। कर्नाटक कृषि विकास एवं प्रशिक्षण सोसायटी नामक एक स्‍वयं सेवी संगठन ने 339 गांव में 5500 बायोगैस इकाइयों स्‍थापित की हैं। इनमें से हर परियोजना स्‍थानीय जरूरतों के अनुरूप गढ़ी गयी है।

इस मौके पर इस रिपोर्ट के सह लेखक  अविनाश कृष्‍णामूर्ति ने कहा कि रिपोर्ट लिखते समय यह एहसास हुआ कि अभी भी देश की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा ऊर्जा से वंचित है। आंकड़ों के हिसाब से आबादी के 40% लोगों को बिजली नहीं मुहैया है। (1) ऐसे में लोगों द्वारा अपनाये गये अक्षय ऊर्जा के यह स्रोत वर्तमान सिस्‍टम को चुनौती देते नजर आते हैं और विकास की राह दिखाते हैं।   

यह रिपोर्ट  महज अक्षय ऊर्जा तकनीक व प्रणालियों का उदाहरण नहीं बल्कि उम्‍मीद का वह दीया है जो भारत को अपने भविष्य की ऊर्जा के बुनियादी ढांचे का निर्माण में ग्रामीण आबादी की ऊर्जा जरूरतों को टिकाऊ तरीके से पूरा करने एक रास्‍ता दिखाती है

 

संपादकों के लिए नोट:

1.       Narasimha Rao, Girish Sant, and Sudhir Chella Rajan, “An overview of Indian Energy Trends: Low Carbon Growth and development Challenges.” Prayas, Energy Group, Pune, India, September 2009. http://www.climateworks.org/download/?id=f21a4576-0cec-4ee3-bd3f-86d2acd578ce

 

रिपोर्ट को इस लिंक पर देख सकते हैंwww.greenpeace.org

फोटो इस लिंक पर देख सकते हैं – http://photo.greenpeace.org/C.aspx?VP3=ViewBox_VPage&ALID=27MZIF2IVKY9&CT=Album

 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

·         मुन्‍ना झा, ग्रीनपीस इंडिया , 8750156730, 09570099300,

·         शाश्‍वत राज, मीडिया अधिकारी, ग्रीन���ीस इंडिया, 096868 61974,

मनीष राम, ऊर्जा अभियानकर्ता, ग्रीनपीस इंडिया, 09741936701,

रिपोर्ट जारी करते हुए सुश्री अगाथा संगमा ने कहा कि यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे अक्षय ऊर्जा देश को ऊर्जा सशक्तिकरण की राह पर आगे बढ़ा रही है, खासतौर से गांवों में। लोगों को बिना पर्यावरण को नुकसान पहुंचाये भरोसेमंद ऊर्जा मिल रही है। अब जरूरत है कि एक टिकाऊ ऊर्जा समाधान की ओर देश तेजी से आगे बढ़े और इसकी राह यह रिपोर्ट दिखा रही है।

यह रिपोर्ट देशव्‍यापी विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणाली से जुड़ी दस सफल गाथाओं की एक विहंगम दस्‍तावेज है। यह साबित करती है कि केन्‍द्रीयकृत विशाल विद्युत परियोजनाएं देश के गांवों को रौशन बनाने में निरुददेश्‍य और पर्यावरण व इंसान के लिए विनाशकारी साबित हो रहीं हैं। वहीं दूसरी तरफ अक्षय ऊर्जा देश के विभिन्‍न समुदायों को ऊर्जावान बनाते हुए विकास की ओर ले जा रही है।

दो भागों में बंटी इस रिपोर्ट की मूल कहानी में उन महत्‍वपूर्ण मानवीय व समाजिक बदलावों को दर्ज किया गया है जिन्‍होंने विकेंद्रीकृत अक्षय ऊर्जा की प्रवर्तनकारी परियोजनाओं को साकार किया है। वहीं दूसरा भाग इन परियोजनाओं के तकनीकी पक्षों को सुगम परिपेक्षय में पेश करता है।

इस रिपोर्ट को पेश करते हुए क्‍लाइमेट व  इनर्जी कैम्‍पेनर मनीष राम ने कहा कियह रिपोर्ट मात्र अक्षय ऊर्जा केसों का प्रालेख नहीं है बलिक यह प्रमाण है कि अक्षय ऊर्जा का विकेंद्रीकृत ढांचा ही भारत को ऊर्जा सशक्‍त बना सकता है। अक्षय ऊर्जा देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में परंपरागत ऊर्जा स्रोत की जगह ले चुकी है। जो नीति निर्माताओं को देश के ऊर्जा अभाव को दूर करने के लिए एक सशक्‍त एवं समृद्ध विकेंद्रीकृत ऊर्जा व्‍यावस्‍था से निर्माण की राह दिखा रहा है।विशेषकर दूर दराज के उन हिस्‍सों में जहां आज तक न तो केंद्रीयकृत ऊर्जा परियोनाओं के लाभ पहुंचे और न ही भविष्‍य में ऐसा होने की उम्‍मीद है।

अक्षय ऊर्जा के आयाम की नयी इबारतें की चंद बानगियां कुछ यूं हैं जैसे बिहार में हस्‍क पावर सिस्‍टम धान की भूसी का इस्‍तेमाल करके करीब एक लाख लोगों को बिजली उपलब्‍ध करा रही है। इसी तरह कर्नाटक के सुदूरवर्ती इलाकों में पहुचं कर बैंककर्मी किसानों को कर्ज उपलब्‍ध करा हैं ताकि वे अपने घरों में बिजली के लिए सूक्ष्‍म हाइड्रो प्रणाली का निर्माण कर सकें।

सदूर गांव ही नहीं दिल्‍ली जैसे महानगर में होली फैमली अस्‍पताल सोलर वाट हीटर लगाकर अपने बिजली के बिल का साठ फीसदी बचा रही है। सेल्‍को इंडिया कर्नाटक में सौर ऊर्जा सेवाएं मुहैया कराके मुनाफा कमा रही है। तामिलनाडू की ओदांथरी पंचायत ने पवन ऊर्जा में निवेश करके गांव में बिजली मुहैया करायी है। कर्नाटक कृषि विकास एवं प्रशिक्षण सोसायटी नामक एक स्‍वयं सेवी संगठन ने 339 गांव में 5500 बायोगैस इकाइयों स्‍थापित की हैं। इनमें से हर परियोजना स्‍थानीय जरूरतों के अनुरूप गढ़ी गयी है।

इस मौके पर इस रिपोर्ट के सह लेखक  अविनाश कृष्‍णामूर्ति ने कहा कि रिपोर्ट लिखते समय यह एहसास हुआ कि अभी भी देश की आबादी का एक बड़ा हिस्‍सा ऊर्जा से वंचित है। आंकड़ों के हिसाब से आबादी के 40% लोगों को बिजली नहीं मुहैया है। (1) ऐसे में लोगों द्वारा अपनाये गये अक्षय ऊर्जा के यह स्रोत वर्तमान सिस्‍टम को चुनौती देते नजर आते हैं और विकास की राह दिखाते हैं।   

यह रिपोर्ट  महज अक्षय ऊर्जा तकनीक व प्रणालियों का उदाहरण नहीं बल्कि उम्‍मीद का वह दीया है जो भारत को अपने भविष्य की ऊर्जा के बुनियादी ढांचे का निर्माण में ग्रामीण आब��दी की ऊर्जा जरूरतों को टिकाऊ तरीके से पूरा करने एक रास्‍ता दिखाती है

 

संपादकों के लिए नोट:

1.       Narasimha Rao, Girish Sant, and Sudhir Chella Rajan, “An overview of Indian Energy Trends: Low Carbon Growth and development Challenges.” Prayas, Energy Group, Pune, India, September 2009. http://www.climateworks.org/download/?id=f21a4576-0cec-4ee3-bd3f-86d2acd578ce

 

रिपोर्ट को इस लिंक पर देख सकते हैंwww.greenpeace.org

फोटो इस लिंक पर देख सकते हैं – http://photo.greenpeace.org/C.aspx?VP3=ViewBox_VPage&ALID=27MZIF2IVKY9&CT=Album

 

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·         मुन्‍ना झा, ग्रीनपीस इंडिया , 8750156730, 09570099300,

·         शाश्‍वत राज, मीडिया अधिकारी, ग्रीनपीस इंडिया, 096868 61974,

मनीष राम, ऊर्जा अभियानकर्ता, ग्रीनपीस इंडिया, 09741936701,

 

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