ग्रीनपीस द्वारा बिहार सरकार को आरजीजीवीवाई स्कीम के “सोशल आडिट” में भाग लेने के लिए आमंत्रण

केन्द्रीकृत ढांचे से सभी को बिजली मुहैया कराने वाले दृष्टिकोण को चुनौती दी

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Press release - March 28, 2011
पटना, 24 मार्च 2011: ग्रीनपीस ने प्रमुख सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर आज बिहार सरकार और उसके नीति-निर्माताओं को आमंत्रित करते हुए कहा कि वे बिहार में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना (आरजीजीवीवाई) पर उनकी तरफ से किये जा रहे पहले सामाजिक परिक्षण (सोशल आडिट) को देखें और परखें।

इस सोशल आडिट का उद्देश्य आरजीजीवीवाई के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत का खुलासा करना है और यह परखना है कि जिस उद्देश्य के लिए यह योजना बनी थी, उसका वह उद्देश्य यहां पूरा हो पा रहा है कि नहीं। यह आडिट राज्य में मधुबनी जिले के छह गांवों में और सारण जिले के आठ गांवों में 27 मार्च से 5 मई के मध्य किया जायेगा। प्रत्येक जिले में इस अभियान के तहत जन सुनवाई कार्यक्रम भी आयोजित किये जायेंगे।

सोशल आडिट प्रक्रिया के शुभारंभ पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए ग्रीनपीस अभियानकर्ता अर्पणा उदूपा ने कहा, “आरजीजीवीवाई स्कीम पर बिहार सरकार की तरफ से जो चिंता व्यक्त की गई है, वह जायज है और उससे हम सहमत हैं। इसीलिए हम सरकार को सारण और मधुबनी में शुरू हो रही इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित कर रहे है। यह उनके लिए काफी मददगार होगी और साथ में समस्या की जड़ तक पहुंचने में सहयोग प्रदान करेगी ताकि वे योजना आयोग और केन्द्र सरकार को राज्य सरकार की तरफ से भेजी जाने वाली सिफारिशों में उसे शामिल कर सकें।” [i]

अर्पणा उदूपा ने आगे कहा,  “वर्तमान आरजीजीवीवाई स्कीम को सन 2012 तक सभी तक बिजली पहुंचाने का अनिवार्य लक्ष्य दिया गया है लेकिन उसके मौजूदा स्वरूप को देखते हुए यह कतई संभव नहीं लगता कि वह इस लक्ष्य को हासिल कर पायेगी क्योंकि यह स्कीम केवल केन्द्रीकृत ग्रिड तंत्र के माध्यम से सभी तक बिजली पहुंचाना चाहती है।  इस योजना मैं सभी को उर्जा संपन्न बनाने की क्षमता है। इसे अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाते हुए ऐसा तरीका अपनाना चाहिए जो ऊर्जा उत्पादन पर नियंत्रण की कमान स्थानीय समुदाय को सौंपे और जो स्थानीय स्तर पर उपलब्ध संसाधनों पर निर्भर हो। और यह विकेन्द्रीकृत ढांचे को अपनाकर ही संभव किया जा सकता है।”

आरजीजीवीवाई बिहार में सन 2005 से लागू की गई और इसे सबसे अधिक बजट धनराशि 4265.9 करोड भी आवंटित किये गए।[ii]  आरजीजीवीवाई वेबसाइट के अनुसार अकेले मधुबनी जिले में अब तक करीब 97 फीसदी गैरविद्युतीकृत गांवों का विद्युतीकरण किये जाने का दावा किया गया है । लेकिन यहां गहन विद्युतीकरण की रफ्तार काफी धीमी रही है और उपलब्धि केवल 43.6 फीसदी पायी गयी है। [iii]

बिहार की गिनती देश के उन राज्यों में है जहां बिजली की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां पीक डेफिसिट भी सबसे ज्यादा -33.7 फीसदी है। बिजली संकट की वजह से राज्य का विकास भविष्य में भी प्रभावित होता रहेगा। [iv]

बिहार में बिजली के बेहद निराशाजनक परिदृश्य पर चिंता व्यक्त करते हुए सखी संस्था की सुमन सिंह ने कहा, “हालांकि कागजों में गांवों का विद्युतीकरण हो गया है लेकिन हकीकत में बिजली उत्पादन की इतनी कमी है कि इन गांवों में से किसी में भी ठीक तरह से और समय से बिजली नहीं पहुंचती। हम अभी भी डीजल जेनेरेटर और प्रदूषण फैलाने वाले अन्य साधनों पर निर्भर रहने को मजबूर हैं।” [v]

मधुबनी जिले में 21 विकास खंडों के कुल 1024 गांवों को आरजीजीवीवाई प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है। सोशल आडिट के लिए चुने गये दूसरे जिले सारण में आरजीजीवीवाई प्रोजेक्ट के अंतर्गत 20 विकास खंडों के कुल 1023 गांवों को शामिल किया गया है। [vi]

नव जाग्रति संस्था के जीतेन्द्र कुमार ने इस मौके पर कहा, “सोशल आडिट के माध्यम से न केवल केन्द्रीकृत बिजली उत्पादन और वितरण शैली के खिलाफ मोर्चा खोला जायेगा बल्कि आरजीजीवीवाई की कमियों से सीखने की प्रक्रिया भी शुरू की जायेगी।”

केन्द्रीय ऊर्जा मंत्रालय और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद आरजीजीवीवाई स्कीम का मूल्यांकन और समीक्षा करेंगे ताकि आगामी 12वीं पंचवर्षीय योजना का खाका तय होने से पहले इस योजना के क्रियान्वयन में जरूरी संशोधन किये जा सकें। ग्रीनपीस अपने सहयोगी संगठनों के साथ बिहार, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में किये गये सोशल आडिट के परिणामों को 12वीं पंचवर्षीय योजना प्रक्रिया में शामिल करने का प्रयास करेगी।

अधिक जानकारी के लिए कृपया संपर्क करें:

  • अर्पणा उदूपा, अभियानकर्ता, ग्रीनपीस इंडिया +91 953515200,
  • मुन्ना झा,  मीडिया सलाहकार, ग्रीनपीस इंडिया, +91 9570099300,
  • सुमन सिंह,  सचिव, सखी, +91 9431021204, 
  • जीतेन्द्र कुमार, सचिव, नव जाग्रति, +91 9431074772, 

 

 


[i] SAKHI and Greenpeace will conduct the RGGVY social audit process In Madhubani district of Bihar. In Madhubani district a total of 1024 villages across 21 blocks of Madhubani district have been incorporated in the RGGVY project.

[ii] http://rggvy.gov.in/rggvy/rggvyportal/bcovered.jsp?stcd=10&dtcd=05

[iii] http://rggvy.gov.in/rggvy/rggvyportal/plgsheet_frame3.jsp

[iv] Assocham Study Report in Economic Times- http://economictimes.indiatimes.com/news/news-by-industry/energy/power/Punjab-tops-in-power-consumption-Assocham-study/articleshow/6591695.cms

[v]Nav Jagriti and Greenpeace will conduct the RGGVY social audit process in Saran district of Bihar. In Saran, a total of 1023 villages across 20 blocks have been incorporated in the RGGVY project.

[vi] http://rggvy.gov.in/rggvy/rggvyportal/bcovered.jsp?stcd=10&dtcd=05